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Rewari News: हरियाणा के रेवाड़ी जिले में करंट से युवक की मौत, बिजली निगम को 23.80 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

बिजली निगम को मृतक युवक के माता-पिता को 23 लाख 80 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसले में स्पष्ट किया है कि सबूतों के आधार पर यह साबित होता है कि बिजली निगम ने घोर लापरवाही की है। 
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Rewari News: जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष संजय कुमार खांडुजा और सदस्य राजेंद्र प्रसाद ने हाई टेंशन तार की चपेट में आने से एक युवक की मौत के लिए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम को जिम्मेदार ठहराया है।

 आयोग ने बिजली निगम को मृतक युवक के माता-पिता को 23 लाख 80 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसले में स्पष्ट किया है कि सबूतों के आधार पर यह साबित होता है कि बिजली निगम ने घोर लापरवाही की है। 

23.80 लाख रुपये देने का निर्देश
आबादी वाले क्षेत्र में हाई टेंशन तार बिछाया गया है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए आयोग ने युवक की मौत के लिए बिजली निगम को जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने बिजली निगम को मृतक के परिजनों को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 23.80 लाख रुपये देने का भी निर्देश दिया। 

जिले के देहलवास गांव के एक दंपति संतोष और कैलाश का 18 वर्षीय बेटा लोकेश 8 अगस्त, 2023 को सुबह 7.30 बजे अपने पड़ोसी रमेश की छत पर गया था। उस दौरान पास से गुजर रही 11 हजार वोल्टेज लाइन की चपेट में आने से लोकेश की मौत हो गई थी।

 इस संबंध में पुलिस को भी शिकायत दी गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज किया था। घटना के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए लोकनायक अस्पताल भेज दिया गया। अपने बेटे की मौत से परेशान दंपति ने जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।

 मुआवजे की मांग करते हुए 8 सितंबर, 2023 को जिला उपभोक्ता आयोग में एक शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत में दंपति ने आरोप लगाया था कि बिजली निगम ने नियमों की अनदेखी करते हुए आबादी वाले क्षेत्र में 11,000 वोल्टेज की हाई-टेंशन लाइन बिछाई थी।

यहां कई लोगों के घर हैं। 8 अगस्त, 2023 को शाम 7.30 बजे उनका बेटा किसी काम से पड़ोसी के घर की छत पर गया था। उसी बीच हाई वोल्टेज की करंट के चपेट में आने से उसकी मृत्यु हो गई थी।

बिजली निगम ने इसे फेटल एक्सीडेंट 1977 के नियम से अवरुद्ध बताते हुए मुआवजा देने से मना किया था। इतना ही नहीं निगम की ओर से इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर की ओर से जांच भी की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता के पुत्र को ही लापरवाही के लिए जिम्मेदार करार देते हुए क्लेम देने से मना किया था।