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शादी में दूल्हा केवल घोड़ी पर ही क्यों जाता है? हर लड़की को पता होनी चाहिए ये बातें

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Baraat

शादी (wedding) का मौसम आते ही बारात (Baraat) की धूम मच जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दूल्हा हमेशा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है? क्यों नहीं वह किसी और गाड़ी (Car) हाथी (Elephant) ऊंट (Camel) या बाइक (Bike) पर जाता? इसका जवाब सिर्फ ट्रैडिशन (tradition) में नहीं बल्कि उसके पीछे छिपे मजेदार और देसी लॉजिक में भी है।

राजा महाराजाओं की परंपरा से आई यह रस्म

पुराने जमाने में राजा-महाराजाओं की शादी में घोड़े-हाथी का इस्तेमाल होता था। लेकिन घोड़ी को खासतौर पर शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता था। घोड़ी को धरती मां का रूप माना जाता है जो नई जिंदगी (new life) की मजबूत नींव और स्थिरता (stability) का प्रतीक होती है। इसलिए शादी में दूल्हे को घोड़ी पर बैठने की परंपरा शुरू हुई ताकि उसका नया जीवन भी स्थिर और शुभ बना रहे।

जिम्मेदारियों की परीक्षा भी है यह परंपरा

जब दूल्हा घोड़ी पर चढ़ता है तो सिर्फ एंट्री (entry) ही नहीं मारता बल्कि यह एक टेस्ट (test) भी होता है! घोड़ी पर बैठकर दूल्हा यह साबित करता है कि वह अपनी नई जिम्मेदारियों (responsibilities) को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार है।

घोड़ी स्वभाव से शांत (calm) होती है और जिम्मेदारियों को संभालने का संकेत देती है। वहीं घोड़ा थोड़ा गुस्सैल और चंचल होता है जो शादी जैसे बड़े दिन पर किसी को भी परेशानी में डाल सकता है। सोचिए दूल्हा अगर घोड़े पर बैठे और वह बिदक जाए तो क्या होगा? बैंड बाजा बारात की जगह सीधा भागम-भाग हो जाएगी!

शादी की बारात में कार या बाइक क्यों नहीं?

अब जमाना बदल गया है लोग लग्जरी कारों (Luxury Cars) और बाइक्स (Bikes) में भी बारात लाते हैं। लेकिन फिर भी घोड़ी पर बैठने की परंपरा खत्म नहीं हुई। वजह यह है कि बारात दूल्हे की एंट्री होती है शो ऑफ भी और एक तरह का इमोशनल कनेक्शन (emotional connection) भी। घोड़ी पर चढ़कर आने का मजा और उसकी शान (royal feel) कुछ अलग ही होती है।

अगर दूल्हा कार से सीधा स्टेज (stage) पर पहुंच जाए तो फिर बारात का मजा आधा ही रह जाएगा। डांस (dance) मस्ती और मजाक (fun) सब कम हो जाएगा। बारातियों की एंट्री भी बड़ी सीधी-सादी लगने लगेगी। इसलिए घोड़ी पर चढ़कर आना आज भी एक ट्रेंड बना हुआ है।

दूल्हे के लिए वीरता और हिम्मत का प्रतीक

शादी सिर्फ एक रस्म (ritual) नहीं बल्कि एक नई जिंदगी की शुरुआत होती है। दूल्हा जब घोड़ी पर बैठता है तो यह उसकी वीरता (bravery) का भी प्रतीक माना जाता है। पुराने जमाने में योद्धा (warrior) जब युद्ध जीतते थे तो घोड़े पर बैठकर ही अपने राज्य में लौटते थे। इसी परंपरा को शादी में जोड़ा गया ताकि दूल्हा भी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत एक विजेता (winner) की तरह कर सके।