दुर्योधन की पत्नी भानुमति ने क्यों किया अर्जुन से विवाह? महाभारत की इस अनसुनी कहानी को जानकर चौंक जाएंगे

महाभारत (Mahabharat) का ज़िक्र होते ही सबसे पहले कौरव और पांडव याद आते हैं। लेकिन इस महागाथा में कई ऐसे दिलचस्प कैरेक्टर (characters) हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा ही एक नाम है दुर्योधन की पत्नी भानुमति (Bhanumati)। बहुत कम लोग जानते हैं कि भानुमति ने आखिर अर्जुन से शादी क्यों की थी! यह सुनने में जितना अजीब लगता है उतना ही रोचक भी है। तो चलिए इस कहानी के पन्ने पलटते हैं और इस दिलचस्प किस्से की पूरी डीटेल्स (details) जानते हैं।
दुर्योधन की पत्नी भानुमति आखिर थीं कौन?
महाभारत में दुर्योधन का ज़िक्र तो खूब मिलता है लेकिन उनकी पत्नी भानुमति का नाम सुनते ही लोग कन्फ्यूज़ (confuse) हो जाते हैं। भई महाभारत का पूरा ड्रामा (drama) दुर्योधन के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा तो उनकी पत्नी का रोल बहुत ज्यादा हाइलाइट (highlight) नहीं हुआ। लेकिन भानुमति कोई साधारण महिला नहीं थीं। वह काम्बोज (Kamboj) के राजा चंद्रवर्मा की बेटी थीं और बेहद बुद्धिमान एवं सुंदर थीं।
जब भानुमति विवाह योग्य हुईं तो उनके पिता ने उनके लिए स्वयंवर रचाया। इसमें कई राज्यों के शूरवीर आए लेकिन भानुमति ने उनमें से किसी को भी नहीं चुना। इसी बीच दुर्योधन ने कुछ ज्यादा ही ओवरकॉन्फिडेंस (overconfidence) दिखा दिया और जबरदस्ती वरमाला अपने गले में डलवा ली! जी हां दुर्योधन ने भानुमति से जबरदस्ती शादी कर ली थी।
दुर्योधन और भानुमति का रिश्ता कैसा था?
भले ही शादी जबरदस्ती हुई थी लेकिन समय के साथ दोनों का रिश्ता मजबूत हो गया। भानुमति बेहद समझदार और धैर्यवान थीं और उन्होंने दुर्योधन को स्वीकार कर लिया। इस विवाह से उनके दो बच्चे हुए— पुत्र लक्ष्मण और पुत्री लक्ष्मणा।
दुर्योधन का सबसे बड़ा सहारा कर्ण (Karna) था और वह चाहता था कि उसकी बेटी लक्ष्मणा की शादी कर्ण के बेटे वृषसेन से हो। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंज़ूर था। जब लक्ष्मणा का स्वयंवर रचा गया तो श्रीकृष्ण के पुत्र साम ने आकर उसे जबरदस्ती उठा लिया! अब ये तो वही हुआ कि कोई सोचे कुछ और और हो कुछ और! दुर्योधन तो इस बात से तिलमिला गया लेकिन कुछ कर नहीं सका।
महाभारत युद्ध के बाद भानुमति का क्या हुआ?
अब ज़रा सोचिए महाभारत का महायुद्ध (war) खत्म हुआ और दुर्योधन का पूरा खानदान बर्बाद हो गया। लेकिन भानुमति का क्या हुआ? इसका ज़िक्र बहुत कम मिलता है लेकिन कुछ कथाओं में कहा जाता है कि युद्ध के बाद भानुमति विधवा हो गईं।
कौरव वंश पूरी तरह समाप्त हो चुका था और भानुमति अकेली रह गईं। इधर पांडवों को लगा कि अब भानुमति का सहारा बनना चाहिए। तब अर्जुन (Arjun) ने भानुमति से विवाह कर लिया। ऐसा माना जाता है कि यह विवाह एक राजनीतिक (political) कदम था ताकि कौरवों के बचे-खुचे रिश्तों को संभाला जा सके और पूरे वंश का अस्तित्व बचाया जा सके।
क्या अर्जुन और भानुमति का विवाह सही था?
अब आप सोच रहे होंगे कि अर्जुन तो पहले से ही द्रौपदी (Draupadi) और सुभद्रा (Subhadra) के पति थे तो फिर भानुमति से शादी क्यों की? असल में उस समय विवाह सिर्फ प्रेम (love) के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मजबूरी (compulsion) के तहत भी होते थे।
महाभारत युद्ध के बाद कौरवों का नामोनिशान मिट चुका था और पांडवों को लगा कि अगर भानुमति को संरक्षण नहीं मिला तो वह अनाथ हो जाएंगी। इसलिए अर्जुन ने भानुमति से विवाह किया ताकि उनके परिवार का सम्मान बना रहे।