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हरियाणा के इस किसान ने 6 लाख रुपये में खरीदी अनोखी गाय, दूध का स्वाद चखने दूर-दूर से आ रहे लोग

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Punganur

हरियाणा के किसान अब खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी अपनी कमाई का बेहतरीन जरिया बना रहे हैं। इसी कड़ी में नूंह जिले के रहने वाले राजेश जिंदल ने एक अनोखी गाय पालकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

यह गाय दुनिया की सबसे छोटी नस्लों में से एक पूंगनूर (Punganur) गोवंश जाति से संबंध रखती है। इसकी हाइट मात्र 22 इंच है और यह अपनी अनोखी विशेषताओं की वजह से चर्चा में बनी हुई है। इस नस्ल की गायें बेहद खास होती हैं और इनकी लंबाई 2 फीट से ज्यादा नहीं बढ़ती।

6 लाख रुपये में खरीदी गई अनोखी गाय

राजेश जिंदल ने बताया कि उन्हें इस नस्ल की गाय के बारे में फेसबुक (Facebook) पर जानकारी मिली थी। जब उन्होंने गूगल (Google) और यूट्यूब (YouTube) पर इस बारे में रिसर्च की तो पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भी इस पूंगनूर गोवंश को बचाने की अपील कर चुके हैं। इसके बाद राजेश ने इस खास नस्ल की गाय को अपने घर लाने का मन बना लिया।

इसके लिए उन्होंने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले का दौरा किया और वहां इस अनोखी गाय को देखा। इस नस्ल की गायों की कीमत आमतौर पर 8 लाख रुपये तक होती है लेकिन राजेश ने इसे 6 लाख रुपये में खरीद लिया। यह गाय अब हरियाणा के नूंह जिले में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

पूंगनूर गाय की खासियतें

पूंगनूर गोवंश (Punganur Cow) को उसकी छोटी हाइट और दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है। ये गायें दक्षिण भारत में खासतौर पर पाई जाती हैं और इनका उपयोग तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) में भी किया जाता है। इस नस्ल की गायों की कुछ खासियतें निम्नलिखित हैं:

छोटी हाइट – पूंगनूर गाय की हाइट 2 फीट से ज्यादा नहीं होती।
उम्र – इनकी औसतन उम्र 10 से 14 साल होती है।
दूध उत्पादन – यह गाय रोजाना 3 से 5 लीटर दूध देती है।
दूध की कीमत – आंध्र प्रदेश में इस गाय के दूध की कीमत 200 से 500 रुपये प्रति लीटर तक होती है।
कम चारे की खपत – इन गायों को दूसरे नस्लों की तुलना में बहुत कम चारा चाहिए होता है।

पीएम मोदी भी कर चुके हैं इस नस्ल की तारीफ

पूंगनूर गाय को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी चर्चा कर चुके हैं। उन्होंने इस नस्ल के संरक्षण को लेकर अपील की थी। यह गाय भारत की देसी नस्लों में से एक है और इसे लुप्त होने से बचाने के लिए सरकार भी कई योजनाओं पर काम कर रही है।

राजेश जिंदल बताते हैं कि जब उन्होंने इस गाय को अपने गांव में लाया तो देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। नूंह जिले के कई प्रमुख नेता पूर्व राज्य मंत्री कुंवर संजय सिंह और नगर के मनोनीत पार्षद सतपाल सहरावत भी इस अनोखी गाय को देखने आ चुके हैं।

हरियाणा में बढ़ती पशुपालन की रुचि

हरियाणा में पशुपालन (Dairy Farming) एक बड़े व्यवसाय के रूप में उभर रहा है। यहां कई किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ गाय-भैंस पालकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हरियाणा में अब विदेशी नस्लों की गायों के अलावा देसी और खास नस्लों की गायों की भी मांग बढ़ रही है।

पूंगनूर गाय के दूध में औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे यह अन्य गायों के दूध की तुलना में महंगा बिकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस नस्ल की गायें दूध के साथ-साथ खेती में जैविक खाद (Organic Manure) देने के लिहाज से भी फायदेमंद होती हैं।

क्या है पूंगनूर नस्ल की खास बातें?

पूंगनूर गाय को दुनिया की सबसे छोटी गाय कहा जाता है। यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाती है। इस नस्ल की गायों का पालन दक्षिण भारत के कई बड़े मंदिरों में किया जाता है क्योंकि इसका दूध धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसके दूध में ए2 प्रोटीन (A2 Protein) होता है जो इसे अन्य गायों के दूध की तुलना में ज्यादा पौष्टिक बनाता है। इस नस्ल की गायें ज्यादातर सफेद, हल्के भूरे और लाल रंग की होती हैं।

हरियाणा में देसी नस्लों की बढ़ती मांग

हरियाणा में लोग अब देसी नस्ल की गायों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। गिर (Gir), साहीवाल (Sahiwal) और पूंगनूर जैसी नस्लों को पालने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। इन गायों के दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है खासकर बड़े शहरों में जहां लोग शुद्ध देसी दूध (Desi Cow Milk) को प्राथमिकता दे रहे हैं।

राजेश जिंदल का कहना है कि उन्हें अपनी पूंगनूर गाय से काफी फायदा हो रहा है। वे अब इस नस्ल की और गायें लाने की योजना बना रहे हैं ताकि हरियाणा में भी लोग इस नस्ल के फायदे जान सकें।