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हरियाणा सरकार ने इस 71 किलोमीटर लंबी सड़क को फोरलेन बनाने की दी मंजूरी! जानिए कौन कौन से इलाकों में होगा सफर सुहाना

हरियाणा सरकार ने पलवल, नूंह और गुरुग्राम जिलों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुधारना और यातायात की दक्षता को बढ़ाना है। यह परियोजना होडल से पटौदा तक वाया नूंह और पटौदी तक के 71 किलोमीटर लंबे मार्ग का फोरलेन निर्माण करेगी। इस परियोजना की लागत ₹616 करोड़ होगी, जो क्षेत्र के विकास में चार चंद लगा देगा।
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हरियाणा सरकार ने इस 71 किलोमीटर लंबी सड़क को फोरलेन बनाने की दी मंजूरी! जानिए कौन कौन से इलाकों में होगा सफर सुहाना

Haryana: हरियाणा सरकार ने पलवल, नूंह और गुरुग्राम जिलों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुधारना और यातायात की दक्षता को बढ़ाना है। यह परियोजना होडल से पटौदा तक वाया नूंह और पटौदी तक के 71 किलोमीटर लंबे मार्ग का फोरलेन निर्माण करेगी। इस परियोजना की लागत ₹616 करोड़ होगी, जो क्षेत्र के विकास में चार चंद लगा देगा।

यह सड़क परियोजना मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की महत्वपूर्ण घोषणा का हिस्सा है, और इसका उद्देश्य क्षेत्र में माल और यात्री यातायात की दक्षता को बढ़ाना है। फोरलेन सड़क बनने से न केवल यातायात की गति बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास में भी तेजी आएगी। इस परियोजना के जरिए विभिन्न गांवों और शहरों को एक मजबूत सड़क नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।

इस सड़क के फोरलेन बनने के बाद, दिल्ली-मथुरा-आगरा (एनएच-19), दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (एनई-4), गुरुग्राम-नूंह-राजस्थान (एनएच-248ए) और दिल्ली-जयपुर (एनएच-48) जैसे प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इस सड़क के बनने से माल और यात्री दोनों की आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा। सड़क के चौड़ा होने से यात्रा की गति बढ़ेगी और इससे समय की भी बचत होगी।

इस परियोजना का लाभ आसपास के गांवों और शहरों को मिलेगा, जैसे- बिलासपुर, पथरेरी, अडबर, बावला, नूंह, होडल, पलवल और तावड़ू। इन गांवों और शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी प्राप्त होगी, जिससे उनके विकास में तेजी आएगी। मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे टेंडर आवंटन प्रक्रिया में सुधार करें। 

उन्होंने ऑनलाइन बोली प्रक्रिया में बदलाव का सुझाव दिया ताकि ठेकेदारों द्वारा परियोजना को बीच में छोड़ने की समस्या को हल किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि एल-1 (सबसे कम बोली लगाने वाला) किसी कारण से परियोजना को छोड़ देता है, तो अनुबंध स्वचालित रूप से एल-2 बोली लगाने वाले को दिया जाए, ताकि परियोजना में कोई देरी न हो और काम समय पर पूरा हो सके।