MSP की कानूनी गारंटी पर अब तक नहीं बनी नीति, RTI खुलासे ने खोली मोदी सरकार की पोल

नई दिल्ली। चार वर्ष पहले (Historical Farmers Protest) ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में केंद्र सरकार को (Three Farm Laws) तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने पड़े थे। उस समय केंद्र सरकार ने (Farmers' Unions) किसान संगठनों के साथ (Written Commitments) लिखित समझौते किए थे, लेकिन ताजा आरटीआई रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि इन वादों को अब तक पूरा नहीं किया गया है।
एमएसपी की कानूनी गारंटी पर अब तक नहीं बनी नीति
हरियाणा के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से कई अहम जानकारियां मांगी थीं। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी पर अब तक की गई कार्रवाई, किसानों की आय में हुई वृद्धि और तीनों कृषि कानूनों की वापसी संबंधी दस्तावेज शामिल थे।
लेकिन (RTI Response) आरटीआई के जवाब में (Agriculture Ministry) कृषि मंत्रालय ने बताया कि उनके पास इन मुद्दों से संबंधित कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इससे यह जाहिर होता है कि सरकार ने वादों को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट ढाई साल से लंबित
कृषि मंत्रालय के अधिकारी ओमकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, मोदी सरकार ने (High-Level Committee) एक उच्च स्तरीय समिति का गठन 12 जुलाई 2022 को किया था। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को सौंपी गई थी। लेकिन अढ़ाई साल बीतने के बावजूद इस समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार सच में (Farmers Welfare) किसानों के कल्याण को लेकर गंभीर होती, तो अब तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जा चुका होता और एमएसपी की कानूनी गारंटी पर ठोस निर्णय लिया जाता।
दोगुनी आय का वादा अब भी अधूरा
मोदी सरकार ने 2014 में किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन आज भी देश के अधिकांश किसान (Debt Trap) कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं। खेती अब भी घाटे का सौदा बनी हुई है, और किसानों की आत्महत्याओं के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
पीपी कपूर ने बताया कि यदि सरकार ने अपने वादों को पूरा किया होता, तो देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता और आत्महत्या की घटनाओं में कमी आती। लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में किसान (Financial Crisis) गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
किसानों के लिए नई योजनाओं का अभाव
वर्ष 2021 में हुए किसान आंदोलन के बाद सरकार ने किसानों के हित में (New Agriculture Policies) नई कृषि नीतियों को लागू करने की बात कही थी। लेकिन आरटीआई जवाब में स्पष्ट हुआ कि सरकार ने न तो नई नीतियां लागू कीं और न ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई ठोस योजना बनाई।
पीपी कपूर का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर किसान संगठनों को गुमराह किया और कोई भी ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया जिससे (Agricultural Reforms) कृषि सुधार संभव हो पाते।
सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
आरटीआई जवाब से यह भी जाहिर होता है कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का (Official Notification) आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन उससे जुड़े कई अन्य अहम दस्तावेजों की जानकारी देने से इनकार किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार सच में किसानों के हित में काम कर रही होती, तो उसे इन दस्तावेजों को छिपाने की जरूरत नहीं पड़ती।