Haryana News: हरियाणा सरकार ने भू-अभिलेखों को पीपीपी से जोड़ने का निर्णय लिया है। नंबरदारों की मदद से भूमि की मैपिंग की जाएगी। सत्यापन के लिए नंबरदार को पच्चीस रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस कार्य के लिए तहसीलदारों को प्रशिक्षित किया गया है। नंबरदारों की मदद से यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद परिवार पहचान पत्र का नंबर जमाबंदी निकालने के लिए पर्याप्त होगा। इस कार्य पर हर सप्ताह सोमवार को चर्चा होगी।
एक महीने में कितना कार्य हुआ है, इसकी रिपोर्ट प्रशासन शुक्रवार को निदेशक भू-अभिलेख हरियाणा को देगा। इस संबंध में भू-अभिलेख निदेशक ने सभी को पत्र लिखा है। तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को राजस्व अभिलेखों को परिवार पहचान पत्र से जोड़ने के बारे में ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें नंबरदारों का भी अहम योगदान रहेगा।
नंबरदारों की ली जाएगी मदद
दरअसल, सरकार ने अब राजस्व संपदा के नंबरदारों की मदद से परिवार पहचान पत्र नंबर के साथ राजस्व अभिलेखों की मैपिंग करने का निर्णय लिया है। इसके लिए भू-अभिलेख निदेशक ने पत्र भेजा है। सभी जिलों में ऐसा किया जाना चाहिए। नायब तहसीलदारों और तहसीलदारों को नंबरदारों से इसकी साप्ताहिक रिपोर्ट डीसी को भेजनी होगी। डीसी द्वारा रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जाएगी।
तीन चरणों में पूरा होगा काम
सरकार ने इस दिशा में लंबे समय से काम किया है। 2022 में गांवों की ड्रोन बेस मैपिंग का काम पूरा हो चुका है। मैपिंग प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जानी है। अब इसमें नंबरदारों को भी शामिल किया गया है। पीपीपी मैपिंग में भाग लेने वाले नंबरदारों को हरियाणा परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण द्वारा विकसित एआई सिस्टम से सत्यापित मासिक प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
30 जून तक पूरा करने का लक्ष्य
सही तरीके से मैप की गई प्रत्येक एकड़ पर 50 रुपये का इनाम मिलेगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नंबरदारों के लिए मुआवजा पोर्टल पर लॉगिन आईडी बनाई गई है। इसके लिए प्रदेश के सभी तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। दोनों को नंबरदारों को इस बारे में बताना है। पीपीपी का काम देख रहे कोऑर्डिनेटर नितिन ने बताया कि भूमि निदेशक ने पत्र भेजा है।
सभी तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपने अधिकार क्षेत्र के सभी नंबरदारों से रोजाना प्रगति रिपोर्ट लें। दोनों अधिकारी प्रगति रिपोर्ट डीसी को सौंपेंगे। इसके बाद डीसी की ओर से साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट भू अभिलेख निदेशक को दी जाएगी। फिलहाल 30 जून तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।