हरियाण में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। चर्चा है कि सोनीपत के पहले मेयर निकिल मदान 11 जुलाई यानी कल बीजेपी का हाथ थाम सकते हैं। एक दिन पहले ही सोनीपत के राई हलके के विधायक मोहन लाल बड़ौली को बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है।
सोनीपत को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहा जाता है। सोनीपत में कांग्रेस का ही विधायक है। बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी यहां बड़ा गेम खेलने की तैयारी कर रही है।
बता दें कि वर्ष 2020 में हुए सोनीपत नगर निगम के पहले चुनाव में निखिल मैदान ने कांग्रेस की टिकट पर मेयर का चुनाव लड़ा था। चुनाव में उन्होंने भाजपा के ललित बत्रा को 13817 वोट से हराया था वे सोनीपत के पहले मेयर हैं। अब वे 11 जुलाई गुरुवार को भाजपाई हो जाएंगे।
दिल्ली में कल भाजपा जॉइन करेंगे
जानकारी मिली है कि निखिल मदान गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ दिल्ली के हरियाणा भवन में भाजपा के कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में भाजपा जॉइन करेंगे। वे भारी दल बल के साथ दिल्ली जाने की तैयारी में लगे हैं। हालांकि निखिल मदान ने अभी भाजपा में शामिल होने की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनके करीबी तैयारी में जुटे हैं।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निखिल मदान को अपने पाले में करके सोनीपत में मास्टर स्ट्रोक खेला है। बताया जा रहा है कि मेयर निखिल मदान इन दिनों कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे थे।
सोनीपत के मौजूदा विधायक सुरेंद्र पंवार और निखिल मदान के बीच कुछ समय से अनबन की खबरें आ रही थी। पिछले दिनों विधायक सुरेंद्र पंवार ने नगर निगम के भ्रष्टाचार को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। निखिल मदान उनके साथ मंच पर नहीं आए थे।
दीपेंद्र हुड्डा के खास रह चुके
निखिल मदान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के खास रहे हैं। दोनों पिता-पुत्र सोनीपत में आते थे तो निखिल उनका स्वागत करने वालों में सबसे आगे होते थे। वे टीम दीपेंद्र के सक्रिय सदस्य थे। मेयर के चुनाव में भूपेंद्र हुड्डा की बदौलत ही उनको कांग्रेस की टिकट मिली थी। हुड्डा परिवार के वोट बैंक का चुनाव में उनको सीधा लाभ मिला था।
भाजपा में टिकट की जंग
सोनीपत विधानसभा की सीट पर मेयर निखिल मदान को एक मजबूत कैंडिडेट के रूप में देखा जा रहा है। मेयर बनने के बाद उनकी नजर विधानसभा चुनाव लड़ने पर थी। इसी को लेकर कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार से उनकी खटकने लगी थी।
कांग्रेस की टिकट पर दावा कमजोर पड़ते देख वे भाजपा में जाने की जुगत में लगे थे। हालांकि भाजपा में भी विधानसभा टिकट के लिए उनको कई दिग्गजों से टकराना पड़ेगा। इनमें प्रमुख तौर पर पूर्व मंत्री कविता जैन व भाजपा नेता ललित बत्रा शामिल हैं।