MSP से अधिकांश किसानों को नहीं मिल रहा लाभ, सरकारी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार और किसानों के बीच एक और हाई-लेवल (high-level) मीटिंग होने वाली है, जिसमें MSP (Minimum Support Price) पर कानूनी गारंटी सहित कई मुद्दों पर चर्चा होगी। लेकिन उससे पहले एक सरकारी रिसर्च (research) रिपोर्ट ने सबको हिला कर रख दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एमएसपी (MSP) का फायदा केवल 15% धान किसानों और 9.6% गेहूं किसानों को ही मिल रहा है। बाकियों के लिए यह सिर्फ एक सपना बनकर रह गया है।
कितने किसानों को मिल रहा है MSP का लाभ?
देखिए, एमएसपी का रोल किसानों के लिए बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि इससे उन्हें अपने अनाज का सही दाम मिल जाता है। लेकिन अब हालिया रिसर्च पेपर ने इस पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान (NIAP) द्वारा किए गए स्टडी (study) में पता चला है कि सिर्फ 15% धान किसान और 9.6% गेहूं किसान ही MSP का असली मजा उठा पा रहे हैं।
छोटे किसानों की जेब खाली
अब सोचिए, जब सरकार MSP पर खरीद करती है, तो उसका असली फायदा बड़े किसानों को ही मिलता है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि धान के किसान अपनी बिकने लायक उपज का सिर्फ 24% और गेहूं के किसान 21% ही MSP पर बेच पाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि छोटे किसानों के लिए यह एक दूर का सपना बन गया है।
बड़े किसान अपनी बिकने वाली उपज का 37.8% धान और 29.8% गेहूं MSP पर बेच रहे हैं, जबकि छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह आंकड़ा केवल 10.5% और 4.5% रह जाता है। तो भाई, MSP से फायदा लेने के लिए या तो बड़ा किसान बनना पड़ेगा या फिर सरकार से कुछ नए बदलाव करवाने होंगे।
छोटे किसानों के लिए MSP क्यों है एक टेंशन?
छोटे और सीमांत किसानों के लिए MSP पर अनाज बेचना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं है। एक तो मंडियों (mandis) तक पहुंचना मुश्किल, ऊपर से सरकारी खरीद प्रक्रिया इतनी टेढ़ी कि सिर ही चकरा जाए।
कई छोटे किसानों के पास न तो ट्रांसपोर्टेशन (transportation) के पैसे होते हैं और न ही वे सरकारी सिस्टम के झंझट झेल पाते हैं। नतीजा यह होता है कि उन्हें अपने अनाज को ओने-पोने दाम में लोकल ट्रेडर्स (local traders) को बेचना पड़ता है। अब जब सरकारी मंडी ही आम किसानों की पहुँच से बाहर हो, तो MSP का फायदा सिर्फ बड़े किसानों को ही मिलेगा न!
MSP का सीधा असर पैदावार पर भी दिखा
हालांकि, MSP की वजह से किसानों को अपनी पैदावार बढ़ाने की प्रेरणा भी मिलती है। रिपोर्ट में बताया गया कि जिन किसानों को MSP पर फसल बेचने का मौका मिला, उनकी धान की उपज 13.5% और गेहूं की उपज 5% तक बढ़ गई। लेकिन जिन किसानों को MSP का लाभ नहीं मिल पाया, वे इसी सपने में फंसे रह गए कि काश सरकार कुछ जुगाड़ करे।
इस रिपोर्ट ने यह भी बताया कि खुले बाजार में धान की कीमतें MSP से 13.2% और गेहूं की कीमतें 3.5% कम होती हैं। मतलब, MSP से जो फायदा मिल सकता था, वो बाजार में नहीं मिल रहा।
MSP सुधार की जरूरत
अब सवाल उठता है कि MSP सिस्टम में सुधार कैसे हो? रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं, जिनमें छोटे किसानों के लिए खास खरीद योजनाएं लाने और सरकारी खरीद बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
किसानों की माने तो जब तक छोटे किसानों को सीधे लाभ नहीं मिलेगा, तब तक MSP का असली उद्देश्य अधूरा ही रहेगा। अगर सरकार छोटे किसानों को MSP का हिस्सा बना सके, तो भारतीय खेती का पूरा खेल बदल सकता है।