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हरियाणा में दौड़ेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन, मार्च के अंत तक होगी लॉन्च, इन लोगों को मिलेगा सबसे ज्यादा लाभ

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Hydrogen Train

भारत रेलवे (Indian Railways) देश में पहली हाईड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) के संचालन के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है। यह अत्याधुनिक तकनीक से लैस ट्रेन मार्च के आखिरी हफ्ते तक ट्रैक पर दौड़ने लगेगी। इस नई ट्रेन की शुरुआत के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने पर्यावरण-अनुकूल (Eco-Friendly) ग्रीन मोबिलिटी को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।

इंटरनेशनल स्तर पर भारत की नई उपलब्धि

अब तक जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम (UK) और चीन जैसी वैश्विक महाशक्तियों ने हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनों को अपनी रेल प्रणाली में सफलतापूर्वक शामिल किया है। भारत की यह पहल न केवल आधुनिक तकनीक को अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह प्रदूषण नियंत्रण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक साबित होगी।

रेल मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 35 हाईड्रोजन फ्यूल सेल (Hydrogen Fuel Cell) ट्रेनों के निर्माण हेतु ₹2800 करोड़ का बजट निर्धारित किया था। इस योजना के तहत पहली ट्रेन हरियाणा में चलाई जाएगी।

पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक और निर्माण

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में जानकारी दी कि इस ट्रेन की पूरी डिजाइनिंग और तकनीकी निर्माण भारत में ही किया गया है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (Integral Coach Factory - ICF) इस ट्रेन को विकसित कर रही है। यह पूरी तरह से मेक इन इंडिया (Make in India) पहल के तहत निर्मित हो रही है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस रूट पर दौड़ेगी भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन

रेलवे की योजना के तहत सबसे पहले यह ट्रेन हरियाणा के जींद-सोनीपत (Jind-Sonipat) रूट पर संचालित होगी। यह रूट इस ट्रेन के परीक्षण (Trial Run) के लिए उपयुक्त माना गया है। इसके बाद इसे अन्य राज्यों में भी शुरू करने की योजना है।

हाइड्रोजन से चलने वाली यह ट्रेन 1200 हॉर्सपावर (Horsepower) की शक्ति उत्पन्न करेगी, जो कि अन्य देशों में चल रही हाइड्रोजन ट्रेनों की तुलना में अधिक होगी। इसकी उच्च शक्ति क्षमता इसे लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त बनाएगी।

कैसे काम करेगी यह हाइड्रोजन ट्रेन?

यह ट्रेन हाईड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करेगी, जिससे ट्रेन को संचालन के लिए आवश्यक पावर मिलेगी। इस प्रक्रिया में केवल जल वाष्प (Water Vapor) का उत्सर्जन होगा और किसी भी प्रकार का कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) या अन्य प्रदूषक तत्व उत्सर्जित नहीं होंगे।