Haryana News: हरियाणा में फैमिली आईडी को लेकर HC का बड़ा फैसला! इन लोगों को होगा फायदा

यह फैसला हरियाणा के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की अनिवार्यता पर रोक लगाकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि बिना पीपीपी के किसी भी नागरिक को बुनियादी सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता।
इससे उन नागरिकों को राहत मिलेगी, जिनके पास पीपीपी नहीं था और अब वे सरकारी योजनाओं और अन्य मौलिक अधिकारों का लाभ उठा सकेंगे। इस फैसले से सरकारी योजनाओं में समावेशिता सुनिश्चित करने और किसी को भी उसके अधिकारों से वंचित होने से बचाने में मदद मिलेगी।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप इसलिए जरूरी हो गया था, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा आयोजित कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) में परिवार पहचान पत्र (PPP) से जुड़ी समस्याओं को लेकर आपत्ति जताई थी। उनका आरोप था कि आयोग ने आवेदन की जांच में पीपीपी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया, जिसके कारण उनके आवेदन गलत तरीके से खारिज कर दिए गए।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आयोग को पीपीपी के जरिए दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिससे उनके अधिकारों का हनन हुआ। मामले में सवाल उठाया गया कि पीपीपी को अनिवार्य बनाना नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ हो सकता है, क्योंकि कई लोग इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे।
हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनिवार्य पीपीपी पर रोक लगाने का निर्देश दिया। यह फैसला सरकारी सेवाओं और योजनाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि वे उन मौलिक और आवश्यक सेवाओं की पहचान कर रहे हैं, जहां परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को अनिवार्य किया गया है। सरकार ने कहा कि राज्य प्रायोजित योजनाओं और सब्सिडी के लिए पीपीपी की आवश्यकता हो सकती है, ताकि लाभार्थियों की सही पहचान की जा सके।
हालांकि, कोर्ट ने सरकार को 29 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी नागरिक सिर्फ इसलिए बुनियादी सेवाओं से वंचित न रहे, क्योंकि उसके पास पीपीपी नहीं है। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि नागरिकों को इन सेवाओं का लाभ ठीक से मिले और प्रक्रिया पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो।
सरकार ने आश्वासन दिया कि नागरिकों के लिए प्रक्रिया को सरल और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा, ताकि कोई भी अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित न रहे।