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होली से पहले हरियाणा के किसानों को बड़ा तोहफा, मुख्यमंत्री नायाब सैनी ने किया ये बड़ा ऐलान

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Colorful

हरियाणा के किसानों के लिए यह होली कुछ ज्यादा ही रंगीन (Colorful) होने वाली है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों की झोली में खुशियों की बौछार कर दी है। इस बार होली से पहले ही हरियाणा सरकार ने रबी की फसलों के प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। अब किसान ज्यादा पैदावार (Production) करके ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे और अपनी मेहनत का पूरा फल (Benefit) उठा सकेंगे।

किसानों को सरकार का बड़ा गिफ्ट

सीएम नायब सिंह सैनी ने यह फैसला प्रदेश की पांच फसलों पर लागू किया है। मतलब साफ है कि किसानों को अब ज्यादा उत्पादन पर भी कोई दिक्कत नहीं आएगी। सरकारी रिकॉर्ड में पहले से कम उत्पादन दिखाने की जो मजबूरी थी वो भी अब खत्म हो जाएगी।

जानकारी के मुताबिक अब जौ की फसल की औसत उत्पादन सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 16 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है। वहीं चना अब 5 क्विंटल की बजाय 6 क्विंटल प्रति एकड़ उगाया जा सकेगा। सूरजमुखी के लिए यह लिमिट 8 क्विंटल से बढ़कर 9 क्विंटल प्रति एकड़ हो गई है।

अगर बात करें मूंग की फसल की तो इसकी उत्पादन सीमा भी 3 क्विंटल से 4 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी गई है। और सबसे बढ़िया खबर उन किसानों के लिए है जो मसूर की खेती करते हैं। अब तक इसकी कोई तय सीमा नहीं थी लेकिन अब सरकार ने इसे 4 क्विंटल प्रति एकड़ फिक्स कर दिया है।

सीएम का यह फैसला रबी विपणन सीजन 2025-26 से लागू होगा यानी अगली कटाई (Harvesting) से पहले किसान पूरी प्लानिंग (Planning) कर सकेंगे।

किसानों की पुरानी मांग पूरी

हरियाणा के किसान कई सालों से सरकार से यह मांग कर रहे थे। हर बार बजट (Budget) में आश्वासन मिलता लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जाते थे। मगर इस बार सीएम नायब सिंह सैनी ने सीधे 9 जनवरी को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय पहुंचकर किसानों से मुलाकात की थी।

यहां किसानों ने खुलकर अपनी बातें रखीं और सीएम ने भी बिना किसी देरी के बड़े फैसले लेने का भरोसा दिया। अब जाकर यह ऐलान हो गया जिससे किसानों की उम्मीदों को नया हौसला मिल गया है।

किसानों को क्यों पसंद आया यह फैसला?

अब यह सवाल उठता है कि इस फैसले से किसानों को असल में फायदा क्या मिलेगा? तो भाई सीधी बात है – जब उत्पादन की सरकारी सीमा बढ़ जाएगी तो किसान को अपनी उपज बेचने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

पहले क्या होता था? अगर किसी किसान की फसल अच्छी हुई और उसने ज्यादा अनाज (Grains) पैदा कर लिया तो सरकारी रिकॉर्ड में उसकी लिमिट से ज्यादा उत्पादन नहीं दिखाया जाता था। ऐसे में या तो फसल का एक हिस्सा कम दाम पर बेचना पड़ता था या फिर नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन अब सरकारी लिमिट बढ़ने से यह झंझट खत्म हो गया है।

इसके अलावा सरकारी खरीद (Procurement) में भी यह बदलाव किसानों के हक में जाएगा। यानी सरकार एमएसपी (Minimum Support Price) पर ज्यादा अनाज खरीदेगी जिससे किसानों की आमदनी (Income) बढ़ेगी।