हरियाणा में ऑटो चालक की बेटी बनी लेफ्टिनेंट, NDA परीक्षा पास कर रचा इतिहास

हरियाणा की मिट्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यहां की बेटियां किसी से कम नहीं हैं। रेवाड़ी जिले के सुलखा गांव की जिया ने अपने हौसले और मेहनत से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बनकर पूरे गांव और परिवार का नाम ऊंचा कर दिया है।
अब तक आपने फिल्मों में पापा की परी (Papa Ki Pari) वाला डायलॉग सुना होगा लेकिन जिया ने इसे असल में सच कर दिखाया। खास बात ये है कि जिया के पिता मोहनलाल पेशे से ऑटो ड्राइवर (Auto Driver) हैं लेकिन उनकी बेटी ने हौसलों की उड़ान भरते हुए भारतीय सेना (Indian Army) में अपनी जगह पक्की कर ली है। गांव में आज हर कोई कह रहा है बेटी हो तो ऐसी!
पिता की आंखों में खुशी के आंसू
जब जिया का सेलेक्शन NDA में हुआ तो उनके पिता मोहनलाल की आंखें खुशी से छलक उठीं। उनका कहना था कि मेरा तो सपना भी नहीं था कि मेरी बेटी इतना बड़ा नाम करेगी लेकिन उसने कर दिखाया!
जिया ने बताया कि 12वीं कक्षा में ही उनका सपना (Dream) था कि वे NDA में जाएं। उन्होंने चार से पांच महीने की कड़ी मेहनत की कोचिंग (Coaching) ली और लिखित परीक्षा (Written Exam) पास कर ली। इसके बाद SSB इंटरव्यू को भी क्वालीफाई कर यह मुकाम हासिल किया।
गांव में जश्न का माहौल
जिया की सफलता सिर्फ उनके परिवार ही नहीं बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का विषय बन गई है। गांव के लोग मिठाइयां बांट रहे हैं और हर तरफ बधाई हो NDA वाली बिटिया पास हो गई! जैसी बातें हो रही हैं।
जिया की बहन पारुल का कहना है कि दीदी (Sister) दिन-रात पढ़ाई में लगी रहती थी। उनके जज्बे को देखकर मुझे भी मोटिवेशन (Motivation) मिला है। पारुल का सपना चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनने का है ताकि वो भी अपने परिवार का नाम रोशन कर सके।
बेटियों को भी मिले समान
जिया के दादा और गांव के पूर्व सरपंच होशियार सिंह ने बताया कि जिया ने गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और फिर गुरुग्राम में 6 महीने की कोचिंग (Coaching) लेकर NDA का एग्जाम दिया।
उन्होंने कहा कि अगर बेटों की तरह बेटियों को भी समान अवसर (Equal Opportunities) मिलें तो वे भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं। जिया की सफलता ने साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं।