हनुमानगढ़: बिना दहेज शादी कर पेश की मिसाल, प्रशांत और स्नेहा ने समाज को दिया बड़ा संदेश

हनुमानगढ़ जिले के रावतसर में एक अनूठी शादी हुई, जिसने समाज में नई मिसाल कायम की। इस शादी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें न तो दहेज (Dowry) का कोई लेन-देन हुआ और न ही दिखावे का तामझाम। 01 मार्च को हुई इस शादी में दूल्हे प्रशांत और उनके परिवार ने अपनी नई बहू स्नेहा को सिर्फ एक नारियल और एक रुपये के साथ घर लाकर समाज को सकारात्मक संदेश दिया। आज के दौर में जहां दहेज प्रथा (Dowry System) समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है, ऐसे में यह शादी एक प्रेरणादायक पहल बनी है।
बेटी की तरह बहू को घर लाने की सोच
रावतसर के गौरव पथ निवासी प्रधानाचार्य श्री विनोद उपाध्याय और श्रीमती संजू के सुपुत्र प्रशांत की शादी मुंबई निवासी श्री वेणु गोपाल शर्मा और श्रीमती श्रीदेवी की सुपुत्री स्नेहा के साथ संपन्न हुई। खास बात यह है कि प्रशांत और स्नेहा दोनों ही पेशे से डॉक्टर (Doctor) हैं। प्रशांत का कहना है कि उनके माता-पिता की सोच शुरू से यही थी कि बहू को बेटी की तरह घर लाना है, न कि दहेज लेकर शादी को एक सौदेबाजी बनाना।
उन्होंने कहा, "हमने अपनी शादी को सिर्फ दो परिवारों का मिलन माना, न कि कोई सौदा। हमारे लिए स्नेहा का सम्मान और उसकी खुशियां ज्यादा मायने रखती हैं।" इस शादी में न कोई महंगा तोहफा (Gift) लिया गया और न ही कोई अतिरिक्त खर्चा किया गया। परिवार की इस पहल को समाज के लोगों ने भी खूब सराहा।
दुल्हन की खुशी और सम्मान बढ़ा
नई नवेली दुल्हन स्नेहा का कहना है कि उनके लिए यह शादी किसी सपने से कम नहीं थी। उन्होंने कहा, "जब मेरे ससुराल वालों ने मुझे बिना दहेज के अपनाने का निर्णय लिया, तो उनका सम्मान मेरे दिल में और बढ़ गया। आज के समय में जब अधिकतर लोग शादी को एक व्यापार की तरह देखते हैं, तब मेरे सास-ससुर ने समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है।"
स्नेहा ने आगे कहा कि कई लड़कियों के माता-पिता बेटी की शादी में दहेज जुटाने के लिए अपनी जमीन-जायदाद तक बेच देते हैं। लेकिन अगर हर कोई प्रशांत के परिवार की तरह सोचे, तो लाखों बेटियों के माता-पिता पर से यह बोझ (Burden) हमेशा के लिए हट सकता है।
समाज को मिली नई प्रेरणा
यह शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। शादी में शामिल हुए मेहमानों ने इसे एक ऐतिहासिक (Historic) पहल बताया। प्रशांत के पिता श्री विनोद उपाध्याय ने कहा, "समाज में फैली इस कुरीति को मिटाने के लिए हमें खुद पहल करनी होगी। हमने कोशिश की कि समाज को एक सही संदेश दिया जाए कि शादी सिर्फ दो दिलों और परिवारों का मेल है, न कि लेन-देन का सौदा।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर हर माता-पिता अपनी सोच को बदल लें, तो समाज में दहेज जैसी बुराई को खत्म करने में देर नहीं लगेगी।
बिना दहेज शादी का बढ़ता चलन
आज के समय में कुछ युवा इस कुप्रथा (Evil Practice) के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और प्रशांत तथा स्नेहा ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इससे पहले भी कई जोड़ों ने बिना दहेज शादी कर समाज में नई मिसाल पेश की है। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जहां दहेज को अनिवार्य माना जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब शिक्षित (Educated) और जागरूक लोग इस प्रथा को नकारेंगे, तब ही समाज से यह खत्म होगी। अगर और भी परिवार प्रशांत और स्नेहा की तरह सोच अपनाएं, तो भारत को दहेज मुक्त समाज (Dowry-Free Society) बनाने का सपना पूरा हो सकता है।
सरकारी योजनाओं से भी मिल रही मदद
गौरतलब है कि सरकार भी दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ (Beti Bachao Beti Padhao) जैसी योजनाएं लड़कियों को शिक्षा और सशक्तिकरण (Empowerment) के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके अलावा, कई राज्यों में दहेज विरोधी कानून (Anti-Dowry Law) लागू किए गए हैं, जिससे इस प्रथा पर रोक लगाई जा सके।
सोशल मीडिया पर भी मिली सराहना
प्रशांत और स्नेहा की शादी की खबर सोशल मीडिया (Social Media) पर भी खूब वायरल हो रही है। कई लोगों ने इस पहल को सराहा और कहा कि अगर हर घर में ऐसी सोच आ जाए, तो समाज से दहेज नाम की बीमारी हमेशा के लिए मिट सकती है।
एक यूजर ने लिखा, "इस तरह की शादियां देखकर दिल खुश हो जाता है। यह सही मायने में एक प्रेरणादायक (Inspirational) उदाहरण है।"