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होली से पहले शराब प्रेमियों के लिए खुशखबरी, अब चंडीगढ़ में इतनी सस्ती मिलेगी शराब

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Excise Duty

चंडीगढ़ में रहने वाले शराब प्रेमियों के लिए बड़ी खबर आई है। चंडीगढ़ प्रशासन ने सोमवार को नई आबकारी नीति (Excise Policy 2025-26) घोषित कर दी जिसमें शराब पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और वैट (VAT) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि अगले वित्तीय वर्ष में शराब की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी। हालांकि, होटलों में शराब पीना थोड़ा महंगा हो सकता है क्योंकि होटल लाइसेंस फीस में करीब 20% की बढ़ोतरी की गई है।

नई आबकारी नीति में क्या हुआ बदलाव?

इस बार चंडीगढ़ प्रशासन ने आबकारी नीति में कुछ अहम बदलाव किए हैं जो दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को प्रभावित करेंगे। पहले शराब की दुकानों की नीलामी ग्रुपिंग सिस्टम के तहत होती थी जिसे अब हटा दिया गया है।

यह सिस्टम व्यापारियों को पसंद नहीं था, इसलिए प्रशासन ने इसे समाप्त कर दिया। अब 97 लाइसेंसिंग यूनिट की नीलामी की जाएगी, और हर यूनिट में केवल एक रिटेल शराब दुकान होगी।

पिछले वित्तीय वर्ष में प्रशासन ने 84 दुकानों की नीलामी की थी, लेकिन आठ दुकानें नहीं बिक पाई थीं, जबकि चार दुकानों को नीलामी के बाद वापस कर दिया गया था। इस बार नए नियमों के तहत नीलामी प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है।

लाइसेंस शुल्क और कोटे में क्या बदलाव हुआ?

नई नीति के तहत अधिकतर विक्रेताओं के लाइसेंस शुल्क (License Fee) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, निर्यात शुल्क (Export Duty) में कुछ वृद्धि देखने को मिली है:

देशी शराब (Country Liquor - CL) के निर्यात पर शुल्क 1 रुपये प्रति PL से बढ़ाकर 1.5 रुपये प्रति PL कर दिया गया है।
इंडियन मेड फॉरेन लिकर (Indian Made Foreign Liquor - IMFL) के निर्यात पर शुल्क 2 रुपये प्रति PL से बढ़ाकर 2.5 रुपये प्रति PL कर दिया गया है।

इसके अलावा देशी शराब और आयातित विदेशी शराब (BIO - Bottled in Origin) के कोटे में थोड़ा इज़ाफा किया गया है, क्योंकि इनकी मांग में बढ़ोतरी देखी गई है। IMFL का कोटा वही रखा गया है।

शराब की दुकानों का आवंटन कैसे होगा?

सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए इस बार ई-टेंडरिंग (E-Tendering) सिस्टम लागू किया है। अब शराब की दुकानों का आवंटन ऑनलाइन नीलामी (E-Auction) के माध्यम से किया जाएगा। इस ई-नीलामी की शुरुआत 13 मार्च 2025 से होगी।

दुकानों की नीलामी में भाग लेने के लिए पार्टिसिपेशन फीस (Participation Fee) पहले की तरह 2 लाख रुपये ही रखी गई है। हालांकि परमिट रिन्यूअल (Permit Renewal) की फीस में मामूली कमी की गई है जिससे व्यापारियों को थोड़ी राहत मिलेगी।

ऑनलाइन ऑटो-स्वीकृति से मिलेगी राहत

नई आबकारी नीति में सरकार ने लाइसेंसिंग और ब्रांड रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए ऑटो-स्वीकृति (Auto Approval) की सुविधा दी है। इसका मतलब यह है कि पिछले साल स्वीकृत किए गए लेबल को इस साल ऑटोमेटिक स्वीकृति मिल जाएगी, जिससे कारोबारियों का समय बचेगा।

इसके अलावा, अगर किसी व्यापारी के पास एक से अधिक दुकानें हैं, तो अब वह एक उचित स्टॉक ट्रांसफर फीस (Stock Transfer Fee) देकर अपनी दुकानों के बीच शराब का स्टॉक ट्रांसफर कर सकता है। इससे व्यापारियों को बहुत फायदा होगा।

होटलों में क्यों बढ़ी शराब की कीमतें?

जहां शराब की रिटेल कीमतें स्थिर रहने वाली हैं वहीं होटल, रेस्टोरेंट और बार (Hotel, Restaurant & Bar - HORECA) में शराब पीना महंगा हो सकता है। इसकी वजह यह है कि होटल लाइसेंस फीस (Hotel License Fee) को 20% बढ़ा दिया गया है। इससे हाई-एंड होटलों में शराब की कीमतों में इज़ाफा देखने को मिल सकता है।