हरियाणा के अंबाला और सोनीपत में नगर निगमों के उपचुनाव अभी नहीं संभव, ये है नियम
Jan 11, 2025, 19:52 IST
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हरियाणा में कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों, 4 नगर परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के आम चुनाव की घोषणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इसी माह जनवरी के अंत तक अथवा अगले माह फरवरी में होने की प्रबल संभावना है
हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा गत माह दिसम्बर में अम्बाला और पंचकूला सहित प्रदेश की 9 नगर निगमों जिनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, मानेसर, हिसार, रोहतक, करनाल और यमुनानगर नगर निगमें भी शामिल हैं के समस्त निगम क्षेत्र की मतदाता सूचियों को अपडेट करने का विस्तृत कार्यक्रम अलग अलग नोटिफिकेशन्स मार्फ़त जारी किया गया जो समस्त प्रकिया इसी माह जनवरी 2025 के अंत तक सम्पन्न हो जाएगी. हालांकि पानीपत नगर निगम के संबंध में मतदाता सूचियों को अपडेट करने का कार्यक्रम घोषित किया जाना फिलहाल लंबित है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जहाँ तक फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों का विषय है, तो इन दोनों निगमों में वर्ष 2022 से आम चुनाव लंबित है जबकि चार वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2020 में गठित मानेसर नगर निगम के आज तक पहले आम चुनाव ही नहीं कराये गये हैं जोकि हालांकि कानूनन गठन से अधिकतम साढ़े पांच वर्ष की अवधि तक अर्थात जून,2026 तक कराये जा सकते हैं. हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर नगर निगमों में ताजा आम चुनाव गत वर्ष 2024 से लंबित हैं
वहीं हालांकि मौजूदा अम्बाला और सोनीपत नगर निगम का कार्यकाल एक वर्ष अर्थात जनवरी, 2026 तक शेष हैं परन्तु तीन माह पूर्व 8 अक्टूबर 2024 को अम्बाला नगर निगम की तत्कालीन मेयर शक्ति रानी शर्मा पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से भाजपा विधायक एवं सोनीपत नगर निगम के तत्कालीन मेयर निखिल मदान सोनीपत वि.स. क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत कर विधायक बन गये.
हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 8 ए का हवाला देते हुए हेमंत ने बताया कि इसके अंतर्गत प्रदेश के किसी नगर निगम का मेयर अथवा नगर निगम सदस्य (जिन्हें आम भाषा में पार्षद भी कहते हैं हालांकि यह शब्द नगर निगम कानून में नहीं है)
एक ही समय पर मेयर या न.नि. सदस्य एवं साथ साथ विधायक या सांसद नहीं रह सकता है.
हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा गत माह दिसम्बर में अम्बाला और पंचकूला सहित प्रदेश की 9 नगर निगमों जिनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, मानेसर, हिसार, रोहतक, करनाल और यमुनानगर नगर निगमें भी शामिल हैं के समस्त निगम क्षेत्र की मतदाता सूचियों को अपडेट करने का विस्तृत कार्यक्रम अलग अलग नोटिफिकेशन्स मार्फ़त जारी किया गया जो समस्त प्रकिया इसी माह जनवरी 2025 के अंत तक सम्पन्न हो जाएगी. हालांकि पानीपत नगर निगम के संबंध में मतदाता सूचियों को अपडेट करने का कार्यक्रम घोषित किया जाना फिलहाल लंबित है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जहाँ तक फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों का विषय है, तो इन दोनों निगमों में वर्ष 2022 से आम चुनाव लंबित है जबकि चार वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2020 में गठित मानेसर नगर निगम के आज तक पहले आम चुनाव ही नहीं कराये गये हैं जोकि हालांकि कानूनन गठन से अधिकतम साढ़े पांच वर्ष की अवधि तक अर्थात जून,2026 तक कराये जा सकते हैं. हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर नगर निगमों में ताजा आम चुनाव गत वर्ष 2024 से लंबित हैं
वहीं हालांकि मौजूदा अम्बाला और सोनीपत नगर निगम का कार्यकाल एक वर्ष अर्थात जनवरी, 2026 तक शेष हैं परन्तु तीन माह पूर्व 8 अक्टूबर 2024 को अम्बाला नगर निगम की तत्कालीन मेयर शक्ति रानी शर्मा पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से भाजपा विधायक एवं सोनीपत नगर निगम के तत्कालीन मेयर निखिल मदान सोनीपत वि.स. क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत कर विधायक बन गये.
हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 8 ए का हवाला देते हुए हेमंत ने बताया कि इसके अंतर्गत प्रदेश के किसी नगर निगम का मेयर अथवा नगर निगम सदस्य (जिन्हें आम भाषा में पार्षद भी कहते हैं हालांकि यह शब्द नगर निगम कानून में नहीं है)
एक ही समय पर मेयर या न.नि. सदस्य एवं साथ साथ विधायक या सांसद नहीं रह सकता है.
अगर कोई व्यक्ति नगर निगम के मेयर पद या सदस्य होते हुए प्रदेश की विधानसभा या संसद के लिए निर्वाचित हो जाता है, तो विधायक या सांसद के तौर पर निर्वाचित घोषित होने की तारीख से वह नगर निगम का मेयर या न.नि. सदस्य नहीं रहेगा.
इसी कारण गत माह 2 दिसम्बर 2024 को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दो अलग अलग नोटिफिकेशन जारी कर अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के उपरोक्त दोनों निवर्तमान मेयरों, जो विधायक निर्वाचित हुए, का नाम संबंधित नगर निगम मेयर पद से बीती 8 अक्तूबर 2024 की तारीख़ से डी- नोटिफाई कर दिया गया था.
बहरहाल, अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के रिक्त मेयर पद का उपचुनाव कराने के विषय पर हेमंत ने बताया कि इसमें एक गंभीर कानूनी पेंच फंसा है.
बहरहाल, अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के रिक्त मेयर पद का उपचुनाव कराने के विषय पर हेमंत ने बताया कि इसमें एक गंभीर कानूनी पेंच फंसा है.
हरियाणा नगरं निगम कानून, 1994 की धारा 13, जो नगर निगम मेयर और सदस्यों की रिक्त हुई सीटों को उपचुनाव द्वारा भरे जाने से संबंधित है, में आज से चार वर्ष पूर्व नवम्बर-2020 में प्रदेश विधानसभा द्वारा संशोधन कर भूलवश ऐसा उल्लेख कर दिया गया था कि उक्त धारा के प्रावधान रिक्त हुए मेयर की पद पर लागू नहीं होंगे अर्थात इसका अर्थ यह है अगर किसी नगर निगम के मेयर का पद, बेशक वह किसी भी कारण से रिक्त हुआ हो, तो उसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव द्वारा भरा नहीं जा सकता है.
हेमंत ने बताया कि वास्तव में हरियाणा विधानसभा द्वारा उक्त धारा में संशोधन कर ऐसा उल्लेख किया जाना चाहिए था कि धारा 13 के प्रावधान अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए मेयर पद पर लागू नहीं होंगे जैसा कि हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 15 में प्रत्यक्ष निर्वाचित नगर परिषद/नगर पालिका अध्यक्ष के विषय में भी स्पष्ट कानूनी प्रावधान है कि अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए ऐसे अध्यक्षों के पदों को उपचुनाव से भरने का प्रावधान नहीं लागू होगा.
हेमंत ने बताया कि वास्तव में हरियाणा विधानसभा द्वारा उक्त धारा में संशोधन कर ऐसा उल्लेख किया जाना चाहिए था कि धारा 13 के प्रावधान अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए मेयर पद पर लागू नहीं होंगे जैसा कि हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 15 में प्रत्यक्ष निर्वाचित नगर परिषद/नगर पालिका अध्यक्ष के विषय में भी स्पष्ट कानूनी प्रावधान है कि अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए ऐसे अध्यक्षों के पदों को उपचुनाव से भरने का प्रावधान नहीं लागू होगा.
बहरहाल, इसी के दृष्टिगत हेमंत का कानूनी मत है कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की उपरोक्त धारा 13 में पुनः उपयुक्त कानूनी संशोधन करके ही अम्बाला नगर निगम के मौजूदा रिक्त मेयर पद के लिए उपचुनाव संभव हो सकता है.
जोकि तत्काल तौर पर राज्यपाल से इस सम्बन्ध में एक अध्यादेश प्रख्यापित (जारी) करवाकर ही संभव है क्योंकि फिलहाल फरवरी-मार्च, 2025 से पूर्व हरियाणा विधानसभा का आगामी सत्र बुलाये जाने की कोई संभावना नहीं है.
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 1994 नगर निगम कानून की धारा 37(सी) अनुसार मेयर का पद रिक्त होने की परिस्थिति में सीनियर डिप्टी मेयर और उसकी अनुपस्थिति में डिप्टी मेयर और उन दोनों की अनुपस्थिति में डिविजनल कमिश्नर (मंडलायुक्त) कार्यवाहक मेयर के तौर पर कार्य कर सकता है.