नववर्ष से ठीक पहले हरियाणा सरकार को बड़ा झटका! हरियाणा की अलग हाई कोर्ट को लेकर आया बड़ा अपडेट, जानें
Haryana: हरियाणा में अलग हाई कोर्ट की मांग को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और न्यायिक विवाद सामने आया है। जबकि हरियाणा की सरकार ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था, पंजाब सरकार और केंद्र सरकार ने इस पर असहमति जताई है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में बताया कि हरियाणा के लिए अलग हाई कोर्ट का प्रस्ताव फिलहाल टाल दिया गया है, और इस पर आगे कोई विचार नहीं किया जाएगा।
हरियाणा के विभिन्न राजनीतिक नेता, विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ने राज्य की बढ़ती न्यायिक जरूरतों को देखते हुए हरियाणा के लिए अलग हाई कोर्ट की मांग उठाई थी। उनका कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत हर राज्य का अपना अलग उच्च न्यायालय होना चाहिए, और कई छोटे राज्यों में भी अलग हाई कोर्ट हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय जैसे राज्यों का हवाला दिया, जहाँ अलग-अलग हाई कोर्ट हैं।
इस विषय पर चर्चा करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने हरियाणा के लिए अलग हाई कोर्ट की स्थापना पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। उनका कहना था कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की फुल बेंच मीटिंग में इस मुद्दे पर एक राय नहीं बन पाई, जिस कारण प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया है। इसके अलावा, पंजाब सरकार ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है। पंजाब सरकार के अनुसार, एक ही हाई कोर्ट के तहत दोनों राज्यों का संचालन सुचारू रूप से हो सकता है और इस समय किसी नई हाई कोर्ट की आवश्यकता नहीं है।
हरियाणा के राजनीतिक नेतृत्व के लिए अलग हाई कोर्ट का प्रस्ताव एक लंबे समय से उठ रहा था, और इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण थे हरियाणा की बढ़ती जनसंख्या और कानूनी मामलों की संख्या के कारण हाई कोर्ट पर दबाव बढ़ गया है। एक अलग हाई कोर्ट से स्थानीय मामलों में त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद थी। जैसा कि मनोहर लाल खट्टर ने बताया, संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत हर राज्य का अधिकार है कि वह अपनी अलग हाई कोर्ट स्थापित कर सके। हरियाणा के मामलों को सीधे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में लाना अक्सर समय और संसाधनों की बर्बादी मानी जाती है, खासकर जब दोनों राज्यों की न्यायिक आवश्यकताएँ अलग हैं।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, जो चंडीगढ़ में स्थित है, वर्तमान में दोनों राज्यों के न्यायिक मामलों का निपटारा करता है। यह हाई कोर्ट हरियाणा और पंजाब के अलावा चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ अन्य मामलों को भी देखता है। हालांकि, यह व्यवस्था बड़े पैमाने पर कार्य कर रही है, लेकिन प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते कानूनी मामलों के चलते स्थानीय लोगों को कई बार लंबी प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।
हरियाणा के लिए अलग हाई कोर्ट की मांग पर पंजाब और केंद्र सरकार की असहमति को देखते हुए फिलहाल यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ेगा। हालांकि, प्रदेश सरकार इस मुद्दे को लगातार उठाती रहेगी और भविष्य में एक नई पहल की जा सकती है, यदि यह आवश्यकता महसूस होती है।