हरियाणा में अब इन लोगों मिलेगा ₹1.5 लाख का कैशलेस इलाज, 15 अस्पतालों को किया गया पैनल में शामिल, देखें अपडेट

सड़क हादसों (road accidents) में घायल होने वालों के लिए अब एक बड़ी राहत की खबर आई है! हरियाणा पुलिस ने एक दमदार स्कीम (scheme) लॉन्च की है जिसमें सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को ₹1.5 लाख तक का कैशलेस इलाज (cashless treatment) मिलेगा। पुलिस अधीक्षक (SP) विक्रांत भूषण ने इस योजना की घोषणा की और बताया कि गोल्डन ऑवर (golden hour) के दौरान सही समय पर इलाज मिलने से अनगिनत ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती हैं।
कैसे मिलेगा ₹1.5 लाख का कैशलेस ट्रीटमेंट?
अब ये मत पूछो कि स्कीम का फायदा उठाने के लिए कितने फार्म भरने होंगे! हरियाणा पुलिस ने इसे झंझट-मुक्त (hassle-free) रखा है। सड़क दुर्घटना में घायल होने पर नज़दीकी हॉस्पिटल में एडमिट होते ही संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचना भेजी जाएगी। फिर पुलिस 6 घंटे के अंदर कन्फर्म (confirm) करेगी कि मामला सही है या नहीं। एक बार एक्सीडेंट वेरिफाई हो गया तो घायल को सीधा मुफ्त इलाज (free treatment) मिलेगा, यानी जेब से पैसा खर्च करने की टेंशन नहीं!
7 दिन तक मुफ्त इलाज
इस योजना के तहत अगर रोड एक्सीडेंट (road accident) के 24 घंटे के अंदर पुलिस रिपोर्ट दर्ज हो जाती है, तो घायल को 7 दिन तक ₹1.5 लाख तक की ट्रीटमेंट फैसिलिटी (treatment facility) मिलेगी। इसमें हॉस्पिटल का खर्च, दवाईयां, और बाकी मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल होगा। यानी एक्सीडेंट के बाद पैसा होगा तो इलाज होगा वाली बात अब गुज़रे जमाने की हो गई है!
कौन-कौन से हॉस्पिटल इस योजना में शामिल हैं?
अब सवाल उठता है कि इलाज कहां होगा? तो भाई, सिरसा जिले के 15 प्राइवेट हॉस्पिटल इस योजना में शामिल किए गए हैं, जिनमें बड़े नाम कुछ इस प्रकार हैं:
DMC हॉस्पिटल
केयर हॉस्पिटल
पारस हॉस्पिटल
गिल हॉस्पिटल
संजीवनी हॉस्पिटल
शाह सतनाम जी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल
सुरक्षा हॉस्पिटल
होप न्यूरोकेयर सेंटर हॉस्पिटल
सिविल हॉस्पिटल, सिरसा
इन हॉस्पिटल्स में घायल को गोल्डन ऑवर में पहुंचाकर तुरंत इलाज दिलाया जाएगा। यानी अब अस्पताल खोजने का टेंशन खत्म!
गोल्डन ऑवर में इलाज जरूरी क्यों?
पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद पहला घंटा गोल्डन ऑवर (golden hour) कहलाता है। इस दौरान इलाज मिलने से घायल की जान बचने के चांस बढ़ जाते हैं। अगर सही समय पर सही ट्रीटमेंट मिल जाए, तो गंभीर घायलों की जान भी सेव (save) की जा सकती है।
योजना मोटर वाहन अधिनियम
पुलिस अधीक्षक ने यह भी बताया कि ये स्कीम मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) की धारा 162 के तहत लागू की गई है। मतलब सरकार ने इसे लीगल (legal) बना दिया है, तो किसी को भी पेपरवर्क का बहाना बनाकर इलाज देने से इनकार नहीं कर सकते!
सड़क सुरक्षा पर होगा ज़ोर
एसपी विक्रांत भूषण ने सभी थाना प्रभारियों को ट्रैफिक अवेयरनेस (traffic awareness) बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को यातायात नियमों की जानकारी देने के साथ-साथ एक्सीडेंट संभावित क्षेत्रों में चेतावनी संकेत (warning signs) लगाना भी ज़रूरी है। क्योंकि रूल्स फॉलो नहीं करोगे, तो हॉस्पिटल का चक्कर लगाना पड़ेगा!