Haryana News: हरियाणा में सूचना आयुक्तों के 10 में से 6 पद खाली, आयोग में अपीलों का अंबार, मांगे गए आवेदन

Haryana: हरियाणा राज्य सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्तों के 10 में से 6 पद खाली पड़े हैं। आगामी 25 मार्च को मुख्य राज्य सूचना आयुक्त और एक राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इन खाली पदों की वजह से आयोग का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
अब सरकार ने राज्य सूचना आयुक्त के 7 पदों और मुख्य राज्य सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन मांगे हैं। इच्छुक उम्मीदवार 21 मार्च की शाम 5 बजे तक आवेदन भेज सकते हैं।
सूचना आयुक्तों के 6 पद लंबे समय से खाली
हरियाणा राज्य सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्तों के 10 पद हैं। इनमें से 6 पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। सरकार ने अप्रैल 2023 के बाद से राज्य सूचना आयोग में कोई भी नियुक्ति नहीं की है।
अभी 3 राज्य सूचना आयुक्त और 1 मुख्य सूचना आयुक्त के सहारे काम चल रहा है। 25 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त विजय वर्धन और राज्य सूचना आयुक्त एसएस फुलिया सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
इनके अलावा आयोग में राज्य सूचना आयुक्त डॉ कुलबीर छिकारा, प्रदीप कुमार शेखावत और डॉ जगबीर सिंह कार्यरत हैं। शेखावत का कार्यकाल अक्तूबर 2025 तक है। छिकारा और जगबीर का कार्यकाल अप्रैल 2026 तक है।
नियुक्तियों के लिए शर्त
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मांगे गए आवेदन के मुताबिक मुख्य सूचना आयुक्त व राज्य सूचना आयुक्त सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा, जिसे विधि, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, समाजसेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंचार माध्यम या प्रशासन और शासन में व्यापक ज्ञान का अनुभव होना चाहिए।
सांसद सदस्य या किसी राज्य या संघ शासित प्रदेश के विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए। किसी राजनीतिक दल से जुड़ा व्यक्ति नहीं होना चाहिए। 65 साल की आयु प्राप्त कर चुके व्यक्ति नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे। राज्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल 3 साल या 65 साल की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, तब तक होगा।
सूचना आयुक्तों की कमी से आयोग में 7216 मामले लंबित
राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के खाली पद होने से आयोग में आरटीआई से संबंधित अपील व शिकायतों के कुल 7216 मामले लंबित हैं। आयोग जिस गति से काम कर रहा है, उसके मुताबिक इन अपीलों को निपटाने में कम से कम 8 साल का वक्त लग सकता है।
1 साल में आयोग में करीब 1125 केस निपटाए जाते हैं। 20 सालों में सूचना आयुक्तों व स्टाफ के वेतन में 92 करोड़ और कैपिटल हेड पर 36 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। वहीं, इस समयावधि के दौरान आरटीआई जागरूकता कार्यक्रम में सिर्फ ढाई लाख रुपये खर्च किए गए हैं।
समय पर सूचना नहीं देने पर डिफाल्टर अधिकारियों पर आयोग ने अब तक करीब पौने करोड़ का जुर्माना ठोका है, मगर सूचना अधिकारियों द्वारा अब तक पौने तीन करोड़ रुपये ही जुर्माना राशि वसूली गई है।